रणथम्भौर अभ्यारण्य दिल थाम देते है यहाँ के दृश्य

आपने जंगल के राजा शेर को कभी न कभी तो अवश्य ही देखा होगा, पिंजरे में बंद चिड़ियाघर में या फिर सर्कस में रिंगमास्टर के निदेर्शों पर करतब दिखाते हुए। लेकिन जंगल के खुले प्राकृतिक वातावरण में शेर को राजा की तरह शान से स्वछंद घूमते हुए देखना अपने आप में एक रोमांचकारी अनुभव होता है। इसी अनुभव के लिए सैलानी देशभर के राष्ट्रीय वन्य जीव अभ्यारण्य में भ्रमण करते हैं। आइए इस बार हम आपको ले चलते हैं रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान जो कि राजस्थान राज्य के सवाई माधोपुर जिले में स्थित है। यह राष्ट्रीय उद्यान बाघ संरक्षण स्थल है जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता, विशाल परिक्षेत्र और बाघों की मौजूदगी के कारण दुनियाभर में जाना जाता है। वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में वन्य जीवों का प्राकृतिक वातावरण में संरक्षण किया जाता है। भारत में इन जंगल के राजाओं को देखने के लिए यह अभ्यारण्य सबसे अच्छा स्थल है। यहाँ दिन के समय पानी के श्रोतों के आस-पास या फिर कभी बीच रास्ते में अथवा झाड़ियों के झुरमुट में इनको सुस्ताते हुए आसानी से देखा जा सकता है। रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान उत्तर भारत का सबसे बड़ा वन्य जीव संरक्षण स्थल है। वर्ष 1955 में इसे वन्य जीव अभ्यारण के रूप में विकसित किया गया और 1973 में ‘प्रोजेक्ट टाइगर' के पहले चरण में इसको शामिल किया गया। 392 वर्ग कि.मी. में फैला यह उद्यान अरावली और विंध्यांचल की पहाड़ियों से घिरा हुआ है। बाघ के अलावा यहाँ चीते भी बहुत हैं जो उद्यान के बाहरी हिस्से में अधिक पाए जाते हैं, इन्हें देखने के लिए कचीदा घाटी सबसे उपयुक्त जगह है। इस अभ्यारण्य को 1981 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा प्रदान किया गया। बाघ और चीतों के अलावा यह राष्ट्रीय अभ्यारण्य विभिन्न जंगली जानवरों, सियार, चीते, लकड़बग्घा, दलदली मगरमच्छ, जंगली सूअर और हिरणों की विभिन्न प्रजातियों के लिए एक प्राकृतिक निवास स्थान उपलब्ध कराता है। इसके अलावा यहाँ जलीय वनस्पति जैसे-लिली, डकवीड और कई रंगों के कमल बहुत मात्रा में है। हाड़ौती के पठार के किनारे पर बना यह अभ्यारण्य चम्बल नदी के उत्तर और बनास नदी के दक्षिण में विशाल मैदानी भू भाग पर फैला हुआ है। इस विशाल अभ्यारण्य में कई झीलें हैं जो वन्य जीवों के लिए अनुकूल प्राकृतिक वातावरण और जलस्त्रोत उपलब्ध कराती हैं। इस उद्यान का नाम प्रसिद्ध रणथम्भौर दुर्ग पर रखा गया है। पूरे उद्यान में बहुत अधिक संख्या में बरगद के पेड़ दिखाई देते हैं



रणथम्भौर में बाघों की संख्या अच्छी-खासी है। समय-समय पर जब यहाँ बाघिने शावकों को जन्म देती हैं, तब वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों में प्रसन्नता की लहर दौड़ जाती है। यह मौका यहाँ के लोगों के लिए एक उत्सव की तरह बन जाता हैइस उद्यान में पदम तालाब नामक एक बड़ी झील है जो यहाँ स्थित सभी झीलों में सबसे बड़ी है। इस झील के किनारे पर एक अति सुन्दर लाल बलुआ पत्थर का बना जोगी महल है, इसके बगीचे में एक विशाल बरगद का पेड़ है जिसे भारत का दूसरा सबसे बड़ा बरगद वृक्ष माना जाता है। यहाँ की झीलों में पानी की बहुलता के कारण यह स्थान पक्षियों के लिए बड़ा ही अनुकूल है। देसी एवं प्रवासी पक्षियों की यहाँ लगभग 272 प्रजातियां पायी जाती हैं। अगर आप बर्ड वाचिंग में रूचि रखते हैं तो रणथम्भौर दुर्ग,मालिक तालाब,राजबाग तालाब और पदम तालाब जरूर जाए। यहाँ आपको कई दुर्लभ प्रजातियों के पक्षी मिल जाएंगे। इस जंगल में 300 से ज्यादा वनस्पतियां पायी जाती हैंजिनमें आम, इमली, बबूल, बरगद, ढाक, जामुन, कदम्ब, खजूर व नीम शामिल हैं। यहाँ बड़ी-बड़ी जंगली घास सवाना देखने को मिलती है,जब इस सूखी घास में से बाघ पानी पीकर बाहर निकलता है तो दृश्य देखने लायक होता है।


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