डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर : इतिहास पथ के महायात्री
यूं तो सृष्टि मनुष्य के रूप में नित्य - असंख्य आलेख लिखती और मिटाती है लेकिन कुछ आलेख, आलेख नहीं होते वे शिलालेख होते हैं जो सृष्टि, समय के वक्ष पर लिखती है। ये शिलालेख ऐसे प्राणवान शिलालेख होते हैं जो इतिहास की निधि और भविष्य निधि की विरासत पर बन जाते हैं। देह उनके लिए गौण होती है इसलिए कि इनकी सृ…